मारवाड़ टाइम्स । जयपुर: अटल बिहारी वाजपाई (Atal Bihari Vajpayee) एक ऐसी हस्ती थे जो न सिर्फ़ देश की जनता के चहते थे, बल्कि विरोधी पार्टियों के भी पसंदीदा थे। वाजपाई जी चाहे सत्ता में रहे या विपक्ष में लेकिन उनकी लोकप्रियता में कभी कम नहीं हुई। अटल बिहारी बाजपाई बिंदास अंदाज के धनी थे, उनके फैसलों में उनकी छवि साफ नजर आती थी। हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन (missile man) के नाम से विश्व विख्यात डॉक्टर अब्दुल कलाम आजाद (Dr. Abdul Kalam Azad) भी इनके प्रशंसक थे। जब 13 मई 1998 में पोकरण में देश में पहली बार परमाणु का परीक्षण हुआ था तब अटल बिहारी बाजपाई देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री थे। और इस पूरे परीक्षण का बोझ डॉ अब्दुल कलाम आजाद के कंधों पर था, इस मिशन के दौरान प्रधानमंत्री और मिसाइल मैन की जोड़ी काबिल-ए-तारीफ़ थी। एक तरफ़ जहां मिसाइल मैन इस परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचा रहे थे वहीं, अटल बिहारी लगातार विदेशी ताकतों से लड़ रहे थे वो भारत को अपना खुद का परमाणु हथियार (nuclear weapon) बनाते देखना पसंद नहीं करते थे। लेकिन इन दोनों महान सपूतों की जोड़ी रंग लाई और देश को परमाणु ताकत मिल पाई ।
हमारे देश में 11 वें राष्ट्रपति का चुनाव होना था और इसके लिए एनडीए की तरफ़ से डॉ अब्दुल कलाम आजाद का नाम आगे बढ़ाया जा चुका था, लेकिन इनका कोई अता-पता नहीं था कहा जाता हैं कि उनकी खोज के लिए देश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी खुफिया ब्यूरो (intelligence bureau) की मदद लेनी पड़ी थी। डॉ अब्दुल कलाम का कोई राजनीतिक बैकग्राउन्ड नहीं था, लेकिन इनकी छवि इतनी लोकप्रिय थी कि कोई चाहकर भी इनका विरोध नहीं कर सकता था। अटल जी एनडीए की तरफ़ से इनके नाम की घोषणा किए जाने की सूचना स्वयं उनको देना चाहते थे लेकिन वो गायब थे इसलिए खुफिया ब्यूरो को उनको ढूँढने का जिम्मा देना पड़ा बाद में उनकी खोज की गई तो पता चला कि वो दक्षिण भारत के किसी छोटे गाँव में 12 वीं कक्षा के छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
डॉ अब्दुल कलाम का नाम राष्ट्रपति के लिए आगे बढ़ाना विपक्ष के लिए किसी सरप्राइज से कम नहीं था, अटल जी के इस चुनाव से पूरा विपक्ष हैरान था। वामपंथी गुटों के विरोध के बावजूद भी काँग्रेस मिसाइल मैन का विरोध नहीं कर सकती थी। क्योंकि कलाम देश का गौरव थे और हर मध्यमवर्गीय परिवार के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। आखिरकार काँग्रेस को इनका समर्थन करना पड़ा और इसी तरह काँग्रेस और भाजपा दोनों के समर्थन से जुलाई 2002 में डॉक्टर अब्दुल कलाम भारत के 11 वें राष्ट्रपति बने और 25 जुलाई 2007 तक अपना कर्तव्य वहन किया (Dr. Abdul Kalam became the 11th President of India in July 2002 and served till 25 July 2007.)।
अटल बिहारी बाजपाई (Atal Bihari Vajpayee) देश के ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्हें उनकी पार्टी ही नहीं विपक्षी भी पसंद करते थे, उनका मानना था कि पार्टियां बनेगी बिगड़ेगी लेकिन यह देश अमर रहना चाहिए। बाजपाई जी का यह अंदाज देश की जनता को खूब भाता था हालांकि अल्पमत की वजह से वो कभी स्थिर सरकार नहीं चला पाए ।
Tags
recent